(ओमप्रकाश ‘सुमन’)
पलियाकलां (खीरी)लखीमपुर 21 सितंबर। बुधवार की दोपहर कलेक्ट्रेट सभागार में प्रभारी डीएम अनिल कुमार सिंह की अध्यक्षता में किसान दिवस का आयोजन हुआ। बैठक का संचालन डीडी कृषि अरविंद मोहन मिश्रा ने किया।
किसान दिवस की अध्यक्षता करते हुए प्रभारी डीएम अनिल कुमार सिंह ने कहा कि पशुओं में लम्पीस्किन डिजीज का बचाव ही उपाय है। पश्चित उप्र, मप्र, राजस्थान, हरियाणा में बीमारी का प्रकोप दिखाई पड़ रहा। बार्डर एरिया में वैक्सिनेशन कराकर प्रभावित पशुओं को तुरंत अलग कर दें। सीवीओ को जनपद में कन्ट्रोल रूप बनाया जाए। प्रत्येक सप्ताह एक-एक चिकित्साधिकारी की ड्यूटी लगा दी जाए। जनपद में डीएपी का अधिक प्रयोग हुआ है। बार्डर पर नियंत्रण रखा जाए। संबंधित विभाग प्रभावी नियंत्रण करें। डीएपी खपत की बढ़ोत्तरी पर सख्त कार्यवाही की जाए। वर्षा का मौसम उतार चढ़ाव वाला रहा। रबी की तैयारी पर चर्चावार ली जाए, रबी की तैयारी कैसे की जाए। कार्ययोजना बना ली जाए। जनपद में दलहन व तिलहनी फसलों का क्षेत्रफल बढ़ाने पर भी विचार करना होगा। डीएचओ को निर्देशित किया कि जनपद के कोल्ड स्टोरेज का सत्यापन कर लिया जाए तथा उसमें अण्डे कदापि नहीं रखे जायेंगे।
प्रभारी डीएम ने आकांक्षात्मक विकास खण्डों में कृषक उत्पादक संगठन के गठन हेतु विकास खण्ड-ईसानगर में उप दुग्धशाला विकास अधिकारी को 28 सितंबर तक एफपीओ का गठन करने के निर्देश दिये एवं अन्य आकांक्षात्मक विकास खण्ड-बाॅकेगंज, धौरहरा, रमियाबेहड़ एवं ईसानगर में कम से कम 04 एफपीओ का गठन की कार्यवाही कर दी जाए। उप कृषि निदेशक ने बताया कि आकांक्षात्मक विकास खण्डों में 03 कृषक उत्पादक संगठन का गठन हेतु पत्रावली पंजीकरण की कार्यवाही की जा चुकी है।
जिला कृषि अधिकारी अरविंद कुमार चौधरी ने कहा कि इस समय किसानों की धान की फसल कटने जा रही है। किसी भी दशा में फसल अवशेष न जलायें, उसको खेत में ही सड़ायें/प्रकृति से हम जितना लेते हैं, फसल अवशेष का सड़ाकर वापस करना है। पर्यावरण को सुरक्षित रखनें के लिए आवश्यक है कि किसी भी दशा में फसल अवशेष न जालायें। तोरिया का बीज सभी बीज भण्डारों पर आपूर्ति हो चुकी है।
डीडी कृषि अरविंद मोहन मिश्रा ने कहा कि फसल अवशेष प्रबन्धन में यंत्र क्रय कर 50 प्रतिशत अनुदान प्राप्त कर सकते है। सुपर सीडर से फसल की तैयारी से कर सीधे खेत की बुवाई कर सकते है। किसान भाई टोकेन निकाल सकते है। मल्चर के द्वारा गन्ने की पत्ती को काटकर सड़ा सकते हैं। कृषक आलोक शुक्ला, ग्राम-ऐंठापुर ने कृषकों को अवगत कराया कि मल्चर के प्रयोग से गन्ने की पत्ती का टुकड़ा बन जाता है, जिससे पत्ती सड़ जाती है तथा पानी लगानें में सुविधा होती है। पूरी पत्ती खेत में सड़ने से 2-3 महीनों में पत्ती सड़नें में लगते है। मल्चर का प्रयोग करनें से गन्ने में कल्ले अधिक आते हैं तथा पानी रोकने की क्षमता बढ़ जाती है। डी-कम्पोजर के प्रयोग से फसल अवशेष सड़ जाता है। पैडी स्ट्रा चापर से धान की फसल के अवशेष का प्रबन्धन कर सकते है।
सीवीओ डॉ अजीत सिंह ने अवगत कराया कि पशुओं में लम्पीस्किन डिलीज राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखण्ड आदि में विकराल रूप धारण कर लिया है। प्रदेश के आगरा आदि जनपदों में भी बीमारी प्रकोप है। जनपद में इम्यूनबेल्ट बना दी गयी है, शाहजहाँपुर, पीलीभीत वार्डर पर वैक्सिनेशन शुरू कर दिया गया है। जिले को इम्यूनबेल्ट बनाकर बचा सकते है। यह बीमारी पशुओं से मनुष्यों में नहीं पहुँचती है। इस बीमारी से पूरे शरीर में गाँट बनकर सूजन आती है तथा कीडे पड़ सकते है। पशु से दूसरे पशुओं में पहुँच सकता है। पशुओं में टीकाकरण करा दिया गया है। बीमारी होने पर पशुओं को अलग कर दिया जाए। ऐसे में बुखार भी हो सकता है। लक्ष्ण प्रकट होने पर तत्काल उन्हें एवं ब्लॉक के पशु चिकित्साधिकारी को अवगत कराकर परामर्श ले सकते है।
पीपीओ सत्येंद्र सिंह ने बताया कि किसान भाई खेती किसानी करते है। कृषकों द्वारा बायो पेस्टीसाइड का प्रयोग किया जाए। राजकीय कृषि रक्षा इकाई पर ट्राइकोडर्मा उपलब्ध है। गन्ने में उकठा रोग के नियंत्रण हेतु भूमि व बीज शोधन ट्राइकोडर्मा से किया जा सकता है। पंजीकृत कृषकों को डीबीटी से अनुदान मिलता है। चूहा एवं छछुंदर से टाइफस बीमारी फैलती है, जिससे मृत्यु तक हो सकती है। अतः चूहा, छछूंदर का नियंत्रण करें। कृषि वैज्ञानिक डा पीके बिसेन ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
बैठक में डीडी कृषि अरविंद मोहन मिश्र, जिला कृषि अधिकारी अरविंद चौधरी, पीपीओ सत्येंद्र सिंह, एलडीएम अजय पांडेय, डीएचओ मृत्युंजय सिंह, रेशम अधिकारी सीएम गौतम, कृषि वैज्ञानिक डा पीके बिसेन, भूमि संरक्षण अधिकारी (गोमती) सुभाष चंद्र, सहायक अभियंता लघु सिंचाई कल्पना वर्मा, कृषि वैज्ञानिक अन्य अधिकारी एवं कृषक उपस्थित रहें।